24 घंटे में दिखा असर: शंकरपुर में लोगों की आवाज़ बनी ताकत, अधूरी सड़क का काम शुरू, गड्ढे भरने का कार्य पूरा

बेलघाट ब्लॉक के शंकरपुर इलाके में अधूरी सड़क निर्माण से नाराज स्थानीय लोगों की आवाज़ आखिरकार असर दिखा गई। मंगलवार की बारिश के बाद जलभराव और कीचड़ से परेशान होकर लोगों ने जब PWD की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए और विरोध दर्ज कराया, तो प्रशासन हरकत में आ गया। खबर वायरल होने के महज 24 घंटे के भीतर अधूरी सड़क की मरम्मत शुरू कर दी गई और अब गड्ढे पूरी तरह भर दिए गए हैं।

शंकरपुर चौराहे के पास, मस्जिद और अशोक स्तंभ के बीच की सड़क पर पानी भरने और फिसलन से कई दोपहिया वाहन चालक गिरकर घायल हो गए थे। इसके बाद स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन कर मीडिया के माध्यम से अपनी आवाज़ उठाई। दैनिक भास्कर, पब्लिक ऐप, गोरखपुर यूथ जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर खबर चलने के बाद प्रशासन सक्रिय हुआ।

PWD के अधिकारियों ने 24 घंटे के भीतर सुधार कार्य शुरू करने का वादा किया था, और स्थानीय लोगों के अनुसार यह वादा निभाया भी गया। बुधवार सुबह से ही मौके पर काम शुरू हो गया और शाम तक गड्ढे भर दिए गए। अब यह मार्ग सुचारु रूप से उपयोग में आ रहा है।

स्थानीय दुकानदारों और नागरिकों ने बताया कि मीडिया द्वारा मुद्दा उठाए जाने के बाद ही अधिकारियों ने संज्ञान लिया और त्वरित कार्रवाई हुई। एक नागरिक ने कहा, “हमने जब अधिकारियों को अवगत कराया तो उसी दिन कार्य शुरू हो गया, इसके लिए मीडिया और प्रशासन दोनों की सराहना की जानी चाहिए।”

हालांकि, क्षेत्रवासियों की चिंता सिर्फ इस हिस्से तक सीमित नहीं है। बहादुरपुर से कुरी बाजार तक दोहरीकरण के तहत बन रही यह सड़क अभी अधूरी है। कई स्थानों पर पुलिया निर्माण अधूरा है और कुछ हिस्सों में केवल गिट्टी डालकर मिट्टी से ढक दिया गया है। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि शंकरपुर से कुरी बाजार तक शेष मार्ग का कार्य भी जल्द पूरा किया जाए, क्योंकि अभी भी कई हिस्सों में जलभराव और संकरी सड़क जैसी समस्याएं बनी हुई हैं।

एक दुकानदार ने कहा, “अधिकारियों ने कहा था कि मई तक काम पूरा हो जाएगा, लेकिन मौजूदा हालात देखकर नहीं लगता कि यह समयसीमा पूरी होगी। हमें उम्मीद है कि जैसे मस्जिद के पास काम समय पर हुआ, वैसे ही बाकी मार्ग भी जल्द बनेगा।”

लोगों ने यह भी अपील की कि क्षेत्र की समस्याओं को उजागर करने में सभी नागरिक आगे आएं। कुछ लोग अभी भी कैमरे के सामने बोलने से हिचकते हैं, लेकिन अगर समस्याएं समय रहते न उठाई जाएं तो समाधान भी संभव नहीं होता।

यह घटनाक्रम एक उदाहरण है कि जब जनता एकजुट होकर अपनी बात मजबूती से रखती है और मीडिया जिम्मेदारी से उसे आगे बढ़ाता है, तो सिस्टम को जवाब देना ही पड़ता है।

Source: गोरखपुर यूथ

 

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